Titanic Real Story : टाइटैनिक के बारें में तो आपने बहुत पढ़ा और सुना होगा, लेकिन आज हम दरअसल फिल्म की बात नहीं कर रहे हैं। बल्कि हम उस असली टाइटैनिक जहाज की बात कर रहे हैं। जिस पर फिल्म बनाई गई थी, दुनिया की सबसे बड़ी जहाज के तौर पर विख्यात टाइटैनिक को डूबे हुए कुल 108 साल हो चुके हैं। लोगों को पता है कि उसका मलबा कहां है। लेकिन आज तक उस मलबे को समंदर से निकाला नहीं गया है, और क्या आप जानते हैं कि आखिरकार ऐसा क्यों है, तो आपको बता दें। (Titanic Real Story)
कि इस वक्त पूरी धरती में 71% पानी है, और 29% स्थल भाग यानी की जमीन हैं। समंदर वाला भाग इतना ज्यादा विशाल है। जिसकी हम कभी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। और इसी विशालकाय समंदर के नीचे हजारों रहस्य है। जिनके बारे में हमें पूरी तरह से पता भी नहीं है और इन्हीं सभी रहस्यों में से एक कहानी है टाइटैनिक जहाज की टाइटैनिक जहाज को लेकर हमेशा से यही कहा जाता था।
आख़िरकार आज तक इसे क्यों नहीं बाहर निकाला गया (Titanic Real Story)
कि ये कभी भी डूब नहीं सकता है लेकिन फिर भी वो डूब गया? 15 अप्रैल 1912 को ये विशालकाय जहाज डूब गया था। और इसके लगभग 73 साल बाद यानी की 1985 में इसे ढूंढा गया। लेकिन उसे ढूंढने के 38 साल बाद भी आज तक इस जहाज को समंदर से बाहर नहीं निकाला जा सका? तो सवाल अब ये उठता है। कि आख़िरकार ये जहाज समंदर से क्यों नहीं निकाला गया? आपको बता दें? कि टाइटैनिक जहाज के डूब जाने के बाद वैज्ञानिकों ने इसे ढूंढने की काफी जी जान से कोशिश की। (Titanic Real Story)
और आखिरकार साल 1985 में अमेरिकी नेवी ऑफिसर और आर्कियोलॉजिस्ट रॉबर्ट बैलर्ड अपनी टीम के साथ टाइटैनिक को ढूंढने के मिशन पर निकल पड़े। फिर उन्हें पता चला। कि आखिरकार टाइटैनिक कहां पर है और किस हाल में हैं। जहाज को ढूंढने के बाद उसके कई रहस्यों के बारे में पता चला जिसने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया? वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक टाइटैनिक समंदर में 12000 फीट की गहराई में डूबा था।
टाइटैनिक द न्यू एविडेंस के रिपोर्ट के मुताबिक जहाज डूबने से पहले बिल्कुल सही सलामत था, लेकिन जैसे-जैसे टाइटैनिक समंदर की गहराई में समाता गया। ये दो हिस्सों में टूट गया। रिपोर्ट के मुताबिक टाइटैनिक आइसबर्ग से टकराने के बाद नहीं डूबा था। बल्कि जहाज में आग लगने के कारण ये डूबा था। और खोजकर्त्ताओं को जब जहाज का यह मलबा मिला। तो उन्होंने पाया की जहाज में मौजूद कई सारी चीजें वैसी की वैसी ही हैं।
इन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं (Titanic Real Story)
वहीं जहाज को बाहर निकालने की बहुत कोशिश की गई लेकिन वैज्ञानिक यह जान गए थे। कि उसे बाहर निकाल पाना लगभग नामुमकिन हैं। लेकिन हाईटेक सबमरीन और पावरफुल मैग्नेटिक टेक्नोलॉजी की मदद से शायद उसे बाहर निकालने की कोशिश की जा सके पर इन कामों में बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। जिसमें सबसे बड़ा कारण है टाइटैनिक का वचन इसका वजन करीबन 46000 टन है।
जो की बहुत ही ज्यादा है और दूसरा कारण है पानी का दबाव जो जहाज के वजन को कई गुना ज्यादा बढ़ा देता है टाइटैनिक जिस जगह पर डूबी थी उसकी गहराई बहुत ज्यादा है यानी की 12000 फीट वहां चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा है सूरज की किरण तक नहीं पहुंचती है। गुप्त अंधेरा छाया रहता है समंदर की गहराई में तापमान भी एक डिग्री सेल्सियस है और इन विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए किसी भी इंसान का इतनी गहराई में जाना और फिर वहां से वापस लौट कर आना बहुत ही जोखिम भरा काम होता है।
ऐसे में यहाँ से मलबे को निकालकर लाना तो बहुत दूर की बात हैं। समंदर की गहराई में 4 किलोमीटर नीचे पड़े मलबे को विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए बाहर निकालना लगभग नामुमकिन है? वैज्ञानिक भी इतनी पावरफुल सबमरीन नहीं बना पाए हैं, जो इतनी विशालकाय जहाज को आसानी से ऊपर ला सके। वहीं शुरुआत में पिंग पोंग बॉल की मदद से पहले इस जहाज को बाहर निकालने की तरकीब लगाई गई थी। (Titanic Real Story)
कि वो टाइटैनिक जहाज में पिंग पोंग बॉल भर देंगे। ताकि ये सभी बॉल ऊपर की तरफ दबाव डालें और फिर ऐसे करके सबमरीन की मदद से जहाज को ऊपर खींच लिया जाएगा। लेकिन ये प्लान पूरी तरह से फ्लॉप हो गया। क्योंकि कुछ वैज्ञानिकों ने ये तर्क दिया कि पिंग पोंग बॉल समुद्र की गहराई में जाते ही फट जाएगी। और इस प्लान के बाद एक और तरकीब सोची गई। और वो ये थी की बड़े-बड़े बलूंस को टाइटैनिक में बांधकर उसमें हीलियम गैस भर देंगे।
और फिर इससे ये जहाज अपने आप ही ऊपर आ जायेगा। लेकिन ये प्लान भी पूरी तरह से फ्लॉप हो गया। क्योंकि इतनी गहराई में जाकर लाखों बलूंस में हीलियम गैस भर पाना असंभव था, फिर वैज्ञानिकों ने तरकीब लगाई? की बर्फ की डेंसिटी पानी की तुलना में कम होती है और इसीलिए बर्फ पानी में तैरती है उन्होंने सोचा कि अगर किसी तरह से टाइटैनिक के पास के पानी को बर्फ में तब्दील कर दिया जाए? तो ऐसा करने से जहाज पानी के ऊपर तक आ जाएगा।
और इस तरकीब का आईडिया था, अमेरिका के इंजीनियर जॉन बियरे का वहीं एक के बाद एक सभी आइडिया फ्लॉप हो गए। इसके बाद उन्होंने अपनी रिसर्च में बताया की, इसके लिए अधिक मात्रा में लिक्विड नाइट्रोजन की जरूरत पड़ेगी और यह आइडिया बेशक कमाल का था। लेकिन ब्रिटिश गैस कंपनी के मुताबिक इसे अंजाम देने के लिए करीबन आधे मिलियन टन लिक्विड नाइट्रोजन की जरूरत होगी, और ये सुनते ही सबके मन में सवाल आया? कि इतनी मात्रा में नाइट्रोजन समंदर की गहराई तक ले जा पाना लगभग नामुमकिन है। (Titanic Real Story)
और ऐसे करके ये आइडिया भी फ्लॉप हो गया? इसके बाद एक शिप बिल्डिंग कंपनी ने आईडिया दिया की सबसे पहले टाइटैनिक पर जमी गंदगी और जंग को साफ करना पड़ेगा, और इसके लिए एक पावरफुल वैक्यूम क्लीनर की जरूरत होगी फिर टाइटैनिक को एक मोटी सी लोहे की जंजीर से बांधकर उसे एक सबमरीन से जोड़ना पड़ेगा? जिससे उसे ऊपर लाया जा सके। लेकिन इस प्रोजेक्ट को अंजाम देने के लिए 20 मिलियन किलोवॉट बिजली की आवश्यकता पड़ेगी। लेकिन जिन वायर्स के जरिये बिजली यहां तक पहुंचाई जाएगी।
उनके फटने की संभावना हो सकती है। इसलिए इस आइडिया को भी यहीं पर रोक दिया गया कई कंपनियों ने इसे बाहर लाने का प्लान आगे भी बनाया, लेकिन इसे बाहर लाने में इतना खर्चा है कि जिसकी भरपाई भी नहीं की जा सकती है। और भरपाई अगर होती भी है, तो उसके लिए 100 सालों से भी ज्यादा का समय लग सकता है। और भले ही इस जहाज से लोगों की इमोशन जुड़े हों लेकिन कोई भी कंपनी इतना पैसा टाइटैनिक को बाहर निकालने के लिए नहीं लगाना चाहती। क्योंकि यह काफी रिस्क भरा काम हो सकता है। (Titanic Real Story)
इतने सालों तक पूरी तरह से नष्ट हो जायेगा Titanic (Titanic Real Story)
साथ ही अब दिनों दिन टाइटैनिक का मलबा गल रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक टाइटैनिक का मलबा अब समुद्र में काफी तेजी से गल रहा है। ऐसे में उसे बाहर निकाल कर लाने का कोई फायदा ही नहीं है, क्योंकि आने वाले 20 से 30 सालों में टाइटैनिक का मलबा पूरी तरह से गल जाएगा। और समुद्र के पानी में घुल जाएगा समुद्र में पाए जाने वाले बैक्टीरिया टाइटैनिक के लोहे को तेजी से खा रहे हैं। और इसी वजह से उसमें जंग लगता जा रहा है। और बढ़ता जा रहा है। ये समुद्री बैक्टीरिया रोजाना लगभग 180 किलो मलबा खा जाते हैं। जी हाँ 180 किलो ऐसे में टाइटैनिक की उम्र अब ज्यादा नहीं बची है।
इसलिए उसके मलबे को बाहर निकालना ज्यादा समझदारी नहीं होगी बल्कि बेवकूफी होगी, लेकिन वहीं एक बार फिर अटलांटिक महासागर में साल 1912 में डूबे टाइटैनिक जहाज के हादसे को लेकर बातें हो रही हैं। वजह ये है कि पांच लोगों को इसका मलबा दिखाने ले गई। एक पनडुब्बी लापता हो गई कंपनी ओसियन गेट ने पनडुब्बी में सवार सभी पांच लोगों की मौत की पुष्टि कर दी थी। अब कुछ लोग इस तरह के एडवेंचर्स की काफी आलोचना कर रहे हैं? इनका कहना है कि जिस स्थान को कब्रगाह माना जाना चाहिए? (Titanic Real Story)
Love like there’s no tomorrow. 💙 #Titanic is back in theaters now for a limited time in 4K 3D. pic.twitter.com/IFUdP9CfqT
— Titanic (@TitanicMovie) February 16, 2023
उसे दिखाने के लिए लोगों को ले जाया जा रहा है वो कोई दर्शनीय स्थल है, क्या जबकि कुछ लोगों ने इस तरह के ट्रेवल की तुलना सुसाइड मिशन से की है? क्योंकि आज भी इसका मल्बा वहीं पड़ा है। और इसे निकाला नहीं जा सकता हालिया घटना में शामिल लोग इसी मल्बे को देखने के लिए गए थे? टाइटैनिक को लेकर कहा जाता था। कि इसका डिजाइन कुछ ऐसा है कि अगर एक कमरे में पानी भर भी जाए तो उससे दूसरे कमरे को डुबाया नहीं जा सकता और हैरानी की बात तो ये है, कि जहाज डूबने के इतिहास में अव्वल स्थान हासिल करने वाले टाइटैनिक का प्रचार करते वक्त ये कहा गया था?
कि यह जहाज कभी भी डूब नहीं सकता वजह यह थी। कि इसमें कई तहखानें थे। जिन्हें वॉटर टाइट दीवारों से बनाया गया था और कहा गया था कि तहखानों की दो कतारों में पानी भरने की स्थिति में भी यह जहाज बिल्कुल नहीं डूबेगा। लेकिन फिर भी आज इन चीजों को लेकर बहुत से लोगों के मन में बहुत से सवाल रहते हैं, जैसे कि पहला सवाल यह रहता है कि क्यों डूबा कभी ना डूबने वाला टाइटैनिक इस जहाज की टक्कर एक विशाल हिमखंड से हुई, और उस वक्त ये तेज गति से अटलांटिक सागर को पार कर रहा था। (Titanic Real Story)
और हिमखंड से टक्कर लेने के बाद जहाज डूब गया इसमें पानी भरा और जिन वॉटर टाइट कंपार्टमेंट की दीवारों को सुरक्षित कवच माना गया था वो नष्ट हो गए। और करीब पांच वॉटर टाइट कमरों में पानी भर गया और ऐसा कहा जाता है कि उस वक्त का स्टील मजबूत नहीं था जब जहाज की हिमखंड के साथ में टक्कर हुई तो उसका ढांचा बदल गया और दरवाजे बंद नहीं हो पा रहे थे तो दोस्तों ये थी, वो वजह जिस वजह से टाइटैनिक के मल्बे को आज तक नहीं निकाला जा सका।
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