MS Dhoni Biography: भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि यहां पर क्रिकेट को धर्म और क्रिकेटर्स को भगवान का दर्जा दिया जाता है। और अगर बात की जाए इस खेल के कप्तान की तो आप सभी खुद ही सोच लीजिए कि उसके ऊपर पूरे देश का कितना दबाव रहता होगा।
क्योंकि आज मैं जिस शख्स के बारें में बात करने जा रहा हूं उनके डिसीजंस की जितनी भी तारीफ की जाए वह भी कम ही हैं। क्योंकि इतने दबाव के बाद भी उन्होंने अपनी कप्तानी से ना शिर्फ़ भारत को T20 वर्ल्ड कप बल्कि वनडे इंटरनेशनल वर्ल्ड कप के साथ-साथ बहुत सारी ऐसी ट्रॉफियां दिलाई है, जो शायद ही आज तक किसी भारतीय कप्तान ने टीम इंडिया को दिलाई हों। तो आप समझ ही गए होंगे कि मैं दरअसल किसकी बात कर रहा हूं?
जी हां दोस्तों मैं बात कर रहा हूं, टीम इंडिया के सबसे सफल कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की जिनकी अगुवाई में भारतीय क्रिकेट टीम तीनों फॉर्मेट में नंबर एक का ताज हासिल कर चुकी है। दोस्तों उन्होंने क्रिकेट के इतिहास में कुछ ऐसे रिकॉर्ड्स बनाए हैं। जो आज के समय में हर भारतीय क्रिकेटर और क्रिकेट को चाहने वाला उन पर गर्व करता है। यहां तक की क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर का भी कहना है कि धोनी दुनियां के सबसे बेहतरीन कप्तानों में से एक है। और मुझे खुशी है कि वे मेरे खेलते समय मेरे कप्तान रह चुके हैं।
महेंद्र सिंह धोनी का प्रारंभिक जीवन (MS Dhoni Biography)
तो आइए जानतें हैं, भारतीय टीम की नई किस्मत लिखने वाले कैप्टन कूल के बारे में… तो महेंद्र सिंह धोनी का जन्म 7 जुलाई 1981 ई. को बिहार के रांची शहर में हुआ था। जो कि अब झारखंड राज्य में स्थित है, उनके पिता का नाम पान सिंह और माता का नाम देवकी है। वैसे तो धोनी का होमटाउन उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में “लावली” नाम के एक गांव में है लेकिन उनके पिता की जॉब मैकॉन कंपनी में जूनियर मैनेजमेंट ग्रुप में लगी थी।
जिसकी वजह से उन्हें पूरे परिवार समेत रांची शिफ्ट होना पड़ा, बता दें धोनी की एक बड़ी बहन भी है जिसका नाम जयंती है। साथ ही उनके एक भाई भी है जिसका नाम नरेंद्र है। धोनी ने अपनी शुरूआती पढ़ाई DAV जवाहर विद्यालय मंदिर श्यामली रांची से की है। एम एस धोनी आज भले ही एक सफल क्रिकेटर के तौर पर जाने जाते हैं, लेकिन बचपन में उन्हें बैडमिंटन और फुटबॉल का बहुत बड़ा शौक था। और उस समय तक शायद क्रिकेट का उन्होंने ज्यादा कुछ सोचा नहीं था।
फुटबॉल की बात करें तो वह इस खेल में इतने अच्छे थे, कि छोटी सी उम्र में ही उन्होंने जिला और क्लब लेवल पर मैचेस खेलना शुरू कर दिया था। वह अपनी फुटबॉल टीम में एक गोलकीपर के तौर पर खेलते थे, और उनके इसी अच्छे परफॉर्मेंस को देखते हुए फुटबाल टीम के कोच ने उन्हें क्रिकेट में भी हाथ आजमाने के लिए भेजा हालांकि धोनी ने उससे पहले कभी क्रिकेट नहीं खेला था। लेकिन फिर भी उन्होंने अपने विकेट कीपिंग से सबको बहुत प्रभावित किया।
इस वजह वे कमांडो क्रिकेट क्लब के रेगुलर विकेटकीपर बन गए, क्रिकेट क्लब में उनके अच्छे परफॉर्मेंस की वजह से उन्हें साल 1997-1998 के दौरान Vinoo Mankad Trophy के अंडर 16 चैंपियनशिप के लिए चुना गया। जहां उन्होंने अपना जबरदस्त परफॉर्मेंस दिया। वहीं आप सभी को बता दें, कि धोनी उस वक्त सचिन तेंदुलकर और एडम गिलक्रिस्ट के बहुत बड़े फैन हुआ करते थे, और वह अपने शुरुआती दिनों में लंबे-लंबे बाल रखा करते थे। क्योंकि उन्हें बॉलीवुड एक्टर जॉन अब्राहम बहुत पसंद थे, और वह उन्हीं की तरह दिखना चाहते थे। जॉन अब्राहम की तरह ही धोनी को भी तेज रफ्तार से बाइक और कार चलाने का शौक है।
और आज जब कभी भी धोनी को टाइम मिलता है तो वह अपनी फेवरेट बाइक से घूमने निकल जाते हैं। महेंद्र सिंह धोनी ने क्लास 10th तक की पढ़ाई के दौरान एक साधारण तरीके से क्रिकेट खेला। क्योंकि उस समय तक उन्हें खेल के साथ-साथ पढ़ाई पर भी ध्यान देना होता था। लेकिन 10th की पढ़ाई पूरी कर लेने के बाद उन्होंने क्रिकेट को ज्यादा टाइम देना शुरू कर दिया। और इसी बीच उनको रेलवे में टीटी के पद पर नौकरी मिली। उसके बाद धोनी साउथ रेलवे की खड़कपुर रेलवे स्टेशन पर साल 2001-2003 तक टीटी के पद पर कार्यरत थे।
बात उस वक्त की है, जब धोनी रेलवे में जॉब किया करते थे? तब उनके साथ काम करने वाले लोग बताते हैं कि वह बहुत ही नेक दिल के इंसान थे। और अपनी जिम्मेदारियां को बखूबी निभाया करते थे, साथ ही वह हमेशा अपनी शरारती हरकतों के लिए भी जाने जाते थे। क्योंकि एक बार की बात है जब धोनी रेलवे के क्वार्टर पर थे। तभी वह अपने दोस्त के साथ मिलकर खुद को सफेद कंबल में पूरी तरह ढक लिए और देर रात तक अपनी कॉलोनी में घूमते रहे जिसके बाद वहां के पहरेदार और कुछ लोगों ने लंबे बाल और पूरी तरह सफेद कपड़ों में ढका हुआ उन्हें देखा और डर के मारें वहां से भाग निकले।
और यह देखकर अब वहां के लोगों को भी यह यकीन हो गया था, कि कॉलोनी में कोई भूत घूम रहा है। और उनकी इस शरारत से लोग बहुत डर गए थे और अगले दिन यह एक बड़ी खबर बन गई थी। कि कॉलोनी में भूत वगैहरा मौजूद है, वहीं महेंद्र सिंह के बारें में बात करें तो वह रेलवे में नौकरी के साथ ही साथ साल 2000 से 2003 तक रणजी ट्रॉफी का हिस्सा रहे, और धीरे-धीरे क्रिकेट की तरफ उनका पागलपन इतना बढ़ गया। कि उनका काम पर से मन हटने लगा? और उन्होंने क्रिकेट में पूरी तरह से अपना करियर बनाने का सोच लिया।
धोनी के क्रिकेट करियर की शुरुआत (MS Dhoni Biography)
अब बहुत सारे लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा होगा, कि आख़िरकार वे नेशनल क्रिकेट टीम में सिलेक्ट कैसे हुए… तो दोस्तों बता दें… कि BCCI की एक टीम होती है? जो छोटे-छोटे शहरों से सबसे अच्छे टैलेंट को खोजने का काम करती है। और उसी टीम में से Prakash Poddar की नजर धोनी के इस अद्भुत खेल पर पड़ी। और उन्होंने धोनी को नेशनल लेवल पर खेलने के लिए सिलेक्ट कर लिया? बता दें कि Prakash Poddar बंगाल टीम के पूर्व कप्तान भी रह चुके हैं।
एमएस धोनी को सबसे बड़ी कामयाबी तब मिली, जब 2003 में उन्हें India A टीम के लिए चुना गया, और वो ट्राई सीरीज खेलने के लिए केन्या गए जहां पाकिस्तान की टीम भी आई हुई थी। और इस सीरीज में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया जहां पाकिस्तान के 223 रनों का पीछा करते हुए उस मैच में उन्होंने अर्धशतक बनाया। और भारतीय टीम को मैच जीतने में मदद किए? उन्होंने अपने परफॉर्मेंस को और मजबूत करते हुए इस टूर्नामेंट में 120 और 119 रन बनाकर दो शतक पूरे किए और यहां पर धोनी ने कुल 7 मैचों में 362 रन बनाए थे।
धोनी की इस शानदार परफॉर्मेंस पर उस समय के कप्तान सौरव गांगुली का ध्यान गया। और साथ ही साथ India A टीम के कोच संदीप पाटिल ने विकेटकीपर और बल्लेबाज के तौर पर भारतीय क्रिकेट में जगह के लिए धोनी की सिफारिश BCCI से की? जबकि उस समय भारतीय टीम में पार्थिव पटेल और दिनेश कार्तिक जैसे विकेटकीपर का ऑप्शन था। और ये दोनों ही खिलाड़ी टेस्ट के साथ-साथ अंडर19 के कप्तान भी रह चुके थे, लेकिन धोनी ने तब तक अपने खेल के दम पर एक अद्भुत पहचान India A टीम में बना ली थी। और इसी वजह से उन्हें 2004-2005 में बांग्लादेश दौरे के लिए वनडे टीम में चुन लिया गया।
Hey I have seen this One, It’s a Classic 💙🥹#MSDhoni #WhistlePodu #IPL2024 #CSK
📸 via BCCI / IPL pic.twitter.com/lIfUbOVAYr— TEAM MS DHONI #Dhoni (@imDhoni_fc) April 15, 2024
धोनी की एक दिवसीय करियर की शुरुआत बेहद ही खराब रही? और वह अपने पहले ही मैच में दुर्भाग्य पूर्ण तरीके से बिना खाता खोले ही आउट हो गए। वहीं बांग्लादेश के खिलाफ उनका परफॉर्मेंस अच्छा न होने के बावजूद भी उनको पाकिस्तान के खिलाफ होने वाले वनडे टीम के लिए चुन लिया गया। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में धोनी के बल्ले की गूंज तब सुनाई दी, जब उन्होंने अपने पांचवें ही मैच में पाकिस्तान के खिलाफ ताबड़तोड़ शतक ठोंक कर भारत को जीत दिला दी। और उस मैच में धोनी ने 123 गेंदों पर शानदार 148 रनों की पारी खेली थी।
और यह किसी भी विकेटकीपर बैट्समैन के तौर पर सर्वोच्च स्कोर था। और उस परफॉर्मेंस के बाद भी उन्होंने अपना शानदार फॉर्म जारी रखा। और टीम में अपनी जगह पक्की कर ली। वहीं 2007 में जब राहुल द्रविड़ ने टेस्ट और वनडे कैप्टंसी से इस्तीफा दे दिया। तो सचिन तेंदुलकर को टीम का कप्तान बनने के लिए कहा जाने लगा, तो ऐसे में सचिन तेंदुलकर ने विनम्रता से मना कर दिया। और धोनी को कैप्टन बनाने के लिए उन्होंने BCCI से कहा जिससे बोर्ड के मेंबर्स भी सचिन की इस बात से सहमत हो गए।
जिसके बाद महेंद्र सिंह धोनी इंटरनेशनल क्रिकेट के कप्तान बन गए , और उसके बाद से धोनी ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और ऐसी कप्तानी करी कि साल 2007 में पहला T20 वर्ल्ड कप भारत ने अपने नाम किया। और फिर साल 2011 में उन्होंने वनडे इंटरनेशनल वर्ल्ड कप भी अपने नाम कर लिया। बता दें भारतीय टीम को एक अच्छे कप्तान के तौर पर कपिल देव अजहरुद्दीन और गांगुली के बाद अगर कोई मिला है, तो वो हैं महेंद्र सिंह धोनी!
निजी जीवन (MS Dhoni Biography)
और अगर धोनी के पर्सनल लाइफ की बात की जाए। तो उन्होंने 4 जुलाई 2010 को साक्षी से शादी की और 6 फरवरी 2015 को उनकी एक बेटी हुई? जिसका नाम उन्होंने जीवा रखा दोस्तों धोनी को साल 2008 में ICC वनडे प्लेयर ऑफ द ईयर का अवार्ड दिया गया। और धोनी ही वो पहले भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्हें यह सम्मान मिला हैं। इसके अलावा धोनी को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया? बता दें महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारत ने करीब 28 साल बाद एकदिवसीय क्रिकेट विश्व कप में दोबारा जीत हासिल की।
इसके बाद एम एस धोनी ने 30 दिसंबर 2014 को आख़िरकार टेस्ट क्रिकेट से रिटायरमेंट लेने का फैसला किया। और उसके बाद 4 जनवरी 2017 को वनडे और T20 की कप्तानी भी छोड़ दी। लेकिन उन्होंने कहा कि वह एक विकेटकीपर बल्लेबाज के तौर पर खेलते रहेंगे, दोस्तों महेंद्र सिंह धोनी की यह बात भी आप सभी को जाननी चाहिए कि उनकी कप्तानी में टीम के अंदर कभी भी विवाद नहीं हुआ, क्योंकि वह अपने शांत स्वाभाव से टीम में एकता बनाये रखे थे।
एम एस धोनी न केवल एक बेहतरीन खिलाड़ी बल्कि एक बेहतर इंसान भी हैं। जो कभी मैच की जीत का श्रेय खुद को नहीं मानते थे? बल्कि पूरी टीम को इसका श्रेय देते हैं, जिसके कारण ही टीम के सभी खिलाड़ी उनका सम्मान करते हैं।
यह भी पढ़ें…